Ram Kasture
रावण का दहन कर अपने अहम् को नष्ट करो -------------------------------------------------
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, 2015-Fri-Oct at 12:22 AM (3432 Views)
रावण का दहन कर अपने अहम् को नष्ट करो
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रावण को हर साल मारते है, फिर अगले साल के लिए यह फिर आ जाता है ? रावण का यह कम्पूटीकरण मेरे समझ में अब तक नहीं आरहा है ? किस विधा का यह ज्ञाता है जिसे मरने में ही मजा आ रहा है ? संसार में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो हर साल अपना सीना छलनी करे.केवल रावण में ही हर साल मरने का कलेजा है, मेरे समझ के अनुसार वह आपके अहम के तुष्टि के लिए मरता है ? समझने वाली बात यह है कि हमारी तुष्टि की संतुष्टि कभी नहीं होती ? यदि इसे सनातन काल से आने वाली बात मानी जाये तो यह गले नहीं उतरता है, सनातन धर्म के अनुसार पानी बेचना पाप है आज बिना किसी संकोच के यह बेचा जा रहा है , दूध बेचना धर्म के अनुकूल नहीं है. फिर भी बेचा जा रहा है. यदि सनातन काल के विरुध्द हम काम कर रहे है फिर रावण ही हमारा टारगेट क्यों है, वह हर साल आकर चुनोती दे रहा मुझे मारकर अपने अहम की तुष्टि कर लो, आश्चर्य की बात यह है कि हमारा समाधान अब भी नहीं हो रहा है . जो लोग रावण का दहन कर रहे है. उनका अहम् दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है ? इसके लिए उन्होंने अपनी जगह चुन ली है? इसीलिए साल दर साल रावण का वध करके अपने आप को राम की जगह लाने का यह प्रयास तो नहीं है. उस तपस्वी, महान ज्योतिष ज्ञाता, महा शिवभक्त रावण को मारने की शक्ति केवल राम में थी और किसीको यह शक्ति प्राप्त नहीं हुयी है. इसके बाद प्रतीकात्मक राम बन कर एक पुतले को क्यों मार रहे हो, क्या यह हिंसा नहीं है, जिसे भी रावण के दहन काम मिलता है वह आने वाले सालो में जनता के बीच रहे यही रावण की मंशा है. रावण कहता है मै तो अहम में मारा गया मुझे अपना अहम समझ कर दहन करो और अपना अहम त्यागो और मुझे मोक्ष पाने के लिए मुक्त करो ? क्या यह आज प्रासंगिक नहीं है,